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बेस अस्पताल में पांच दिवसीय शिविर के दौरान 350 से अधिक मोतियाबिंद सर्जरी

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देहरादून। भारतीय सेना ने 158 बेस अस्पताल, बागडोगरा, पश्चिम बंगाल में अत्याधुनिक नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर का आयोजन किया, जिसमें भूतपूर्व सैनिकों को उन्नत चिकित्सा सेवा प्रदान की गई। कुल 1,752 भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की मोतियाबिंद सहित विभिन्न नेत्र संबंधी बीमारियों की जांच की गई। आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल), नई दिल्ली; बेस हॉस्पिटल, दिल्ली कैंट और कमांड हॉस्पिटल, लखनऊ की एक विशेषज्ञ चिकित्सा टीम ने पांच दिनों में कुल मिलाकर 350 से अधिक मोतियाबिंद सर्जरी की।

इसके अलावा, 500 से अधिक उच्च-मानक चश्मे निःशुल्क वितरित किए गए। शीर्ष-स्तरीय उपकरणों और उच्च-गुणवत्ता वाले लेंसों के उपयोग ने यह सुनिश्चित किया कि रोगियों को सर्वोत्तम संभव देखभाल मिले, जिससे रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पर रक्षा मंत्रालय के जोर को बल मिला। शिविर का सबसे बड़ा आकर्षण नेपाल से आए नेत्र रोगी थे। कुल 17 भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की नेत्र संबंधी बीमारियों की जांच की गई और उनमें से कुछ को उच्च गुणवत्ता वाले लेंस के साथ निःशुल्क मोतियाबिंद की सर्जरी की गई।

इस पहल का नेतृत्व ब्रिगेडियर संजय कुमार मिश्रा ने किया, जो एक नेत्र शल्य चिकित्सक हैं और आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल), नई दिल्ली में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख हैं। ब्रिगेडियर एसके मिश्रा को एक लाख से अधिक सफल मोतियाबिंद, विट्रोरेटिनल, अपवर्तक और ग्लूकोमा सर्जरी करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने कहा कि शिविर ने पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और यहां तक ​​कि नेपाल के विशाल क्षेत्र में फैले हिमालय की तलहटी में राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले दिग्गजों के दरवाजे पर विश्व स्तरीय उपचार लाया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया कि दिग्गजों को बिना यात्रा किए वह देखभाल मिले जिसके वे हकदार हैं।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री सी.वी. आनंद बोस के अनुरोध पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के निर्देशों के तहत इस शिविर का आयोजन किया गया, जिससे इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले नेत्र चिकित्सा उपचार का विस्तार हुआ। यह पहल पूर्वी क्षेत्र में हमारे दिग्गजों तक शीर्ष स्तरीय चिकित्सा सेवाओं को पहुँचाने में भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस पहल ने अपने दिग्गजों और उनके परिवारों की भलाई के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को उजागर किया। यह राज्य और सैन्य नेतृत्व, विशेष रूप से त्रिशक्ति कोर के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का प्रमाण है, जो देश की सेवा करने वाले बहादुरों के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुँच को बढ़ाता है।

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