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ऊधमसिंहनगर के लोगों से ठगी करना साइबर ठगों को पड़ा भारी, SSP मणिकांत मिश्रा ने की बड़ी कार्रवाई

ऊधमसिंहनगर के लोगों से ठगी करना साइबर ठगों को पड़ा भारी, SSP मणिकांत मिश्रा की टीम ने की बड़ी कार्रवाई

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दून प्लस/मनीष चंद्र भट्ट
रुद्रपुर। ऊधम सिंह नगर पुलिस ने गुरुवार साइबर अपराध के खिलाफ अपनी जंग में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है।
एसएसपी मणिकांत मिश्रा के दूरदर्शी नेतृत्व और अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप, रुद्रपुर कोतवाली में दर्ज एक बड़े साइबर धोखाधड़ी मामले के मुख्य वांछित अभियुक्त, शैलेंद्र उर्फ शेरू चौहान को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी 29 मई, 2025 को पंजीकृत उस धोखाधड़ी के मामले से जुड़ी है, जिसमें हरबंस लाल, निवासी शांति कॉलोनी, रुद्रपुर के पेटीएम खाते से 54,999 रुपये की अवैध निकासी की गई थी। इस राशि को देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित बैंकों के खातों में स्थानांतरित किया गया था, जिससे इस अपराध के अंतरराज्यीय स्वरूप का खुलासा हुआ था।

*गिरफ्तारी की विस्तृत जानकारी और पूर्व में हुई कार्रवाई:*
➡️ इस मामले में रुद्रपुर पुलिस ने पहले ही छह शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इनमें प्रशांत कुमार, विजय कुमार, आकाश कुमार, मोहित कुमार, विशाल कुमार और अंकुर कुमार शामिल थे, जो सभी बरेली, उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से संबंधित थे। इन गिरफ्तारियों के बाद भी शैलेंद्र उर्फ शेरू चौहान सहित तीन अन्य अभियुक्त फरार चल रहे थे, जिनकी तलाश में पुलिस लगातार जुटी हुई थी।

*तकनीकी पड़ताल और सोशल मीडिया का सहारा:*
➡️ अभियुक्त शैलेंद्र की तलाश में जुटी कोतवाली रुद्रपुर और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने अत्याधुनिक तकनीकी सहायता का सहारा लिया। अभियुक्त के विभिन्न सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहनता से पड़ताल की गई। इंस्टाग्राम पर उसकी प्रोफाइल मिलने के बाद, विवेचना टीम ने पिछले सात वर्षों की सभी पोस्ट्स का बारीकी से विश्लेषण किया। इस विश्लेषण ने ही अभियुक्त के ग्वालियर, मध्य प्रदेश से गहरे जुड़ाव को उजागर किया।

*ग्वालियर कनेक्शन और वाहनों का जाल:*
➡️ इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई तस्वीरें अभियुक्त की जीवनशैली और आवाजाही के महत्वपूर्ण सुराग प्रदान कर रही थीं। वह अक्सर ग्वालियर या उसके आसपास के शोरूम्स, मॉल्स, रिसॉर्ट्स और होटलों से तस्वीरें साझा करता था। सबसे महत्वपूर्ण सुराग विभिन्न महंगी गाड़ियों के साथ उसकी तस्वीरें थीं, जिनमें फॉर्च्यूनर, स्कॉर्पियो, बलेनो, क्रेटा, रेंज रोवर और हुंडई जैसी गाड़ियां शामिल थीं। पुलिस ने इन सभी गाड़ियों के नंबर, मेक और मॉडल प्राप्त कर गहन जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि ये सभी गाड़ियां अलग-अलग लोगों के नाम, पते और मोबाइल नंबर पर पंजीकृत थीं, लेकिन इन सभी का लिंक ग्वालियर से जुड़ रहा था। एक गाड़ी शैलेन्द्र के नाम पर भी पाई गई, जो थाटीपुर क्षेत्र से पंजीकृत थी। इस विस्तृत पड़ताल ने अभियुक्त के ग्वालियर कनेक्शन को और मजबूत किया।

*ग्वालियर में दबिश, पलायन और सफल गिरफ्तारी:*
➡️ इन ठोस सबूतों और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर, रुद्रपुर पुलिस की एक विशेष टीम 8 जून को ग्वालियर के लिए रवाना हुई। स्थानीय पुलिस के सहयोग से, अभियुक्त की तस्वीर और वाहन विवरण के माध्यम से उक्त क्षेत्र की खुफिया तौर से रेकी की गई और अंततः अभियुक्त का घर पहचान लिया गया। 9 जून को जब टीम घर पर पहुंची, तो परिवार वालों से पूछताछ में पता चला कि शातिर अभियुक्त अपने अन्य साथियों की गिरफ्तारी के बाद से ही घर से फरार हो गया था, शायद इस डर से कि वे पुलिस को उसके बारे में जानकारी न दे दें।

➡️ हालांकि, रुद्रपुर पुलिस ने हार नहीं मानी। मुखबिरों से मिली सूचना के आधार पर पता चला कि अभियुक्त ग्वालियर से बरेली की ओर भाग गया है। सटीक सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, पुलिस टीम ने 11 जून को रामपुर रोड पर आर्क होटल के पास से अभियुक्त शैलेंद्र उर्फ शेरू चौहान को सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया।

*अपराधिक पृष्ठभूमि और आगे की जांच:*
➡️ जांच में यह भी सामने आया है कि अभियुक्त शैलेंद्र उर्फ शेरू चौहान के बैंक खातों पर पूर्व में भी हिमाचल प्रदेश और हैदराबाद, तेलंगाना में साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज हैं। यह तथ्य उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि और अंतरराज्यीय साइबर धोखाधड़ी रैकेट में उसकी सक्रिय भूमिका की पुष्टि करता है। शैलेंद्र की गिरफ्तारी से इस पूरे रैकेट के अन्य सदस्यों और उनके modus operandi का खुलासा होने की उम्मीद है, जिससे साइबर अपराध पर लगाम कसने में और भी मदद मिलेगी। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है और साइबर अपराधियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी।

*पुलिस की अपील: साइबर धोखाधड़ी से बचें!*
➡️ अपने बैंक खातों, ओटीपी, पासवर्ड या किसी भी गोपनीय जानकारी को फोन कॉल, मैसेज या अनजान लिंक के माध्यम से किसी भी व्यक्ति से साझा न करें। सतर्कता ही साइबर अपराध से बचने का सबसे बड़ा हथियार है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल पुलिस को सूचना दें।

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