
उत्तराखण्ड की धरोहर बचाएं, लोक विरासत में जुड़ जाएं
पहाड़ की कला दिखाएं, लोक विरासत में मन लगाएं
सिर्फ चार वर्षों में यह उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा और प्रमुख लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम बना: डॉ. केपी जोशी
दून प्लस ब्यूरो/मनीष चंद्र भट्ट
देहरादून। उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यकम उत्तराखण्ड लोक विरासत का पांचवां सस्करण इस वर्ष होने जा रहा है। जल्द ही इसकी तारीख और कार्यक्रम स्थल भी निर्धारित किया जाएगा।
उत्तराखण्ड लोक विरासत के अध्यक्ष और शहर के जाने माने वरिष्ठ फिजीशियन एवं नेहरू कॉलोनी स्थित चारधाम अस्पताल के संचालक डॉ. केपी जोशी ने कहा कि सिर्फ पिछले चार वर्षों में यह उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा और प्रमुख लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम बन गया है। जो उत्तराखण्ड के सभी 13 जिलों व उनके गांवों तक का प्रतिनिधित्व कर रहा है। डॉ. केपी जोशी ने बताया कि उनके पास उत्तराखण्ड की सबसे बढ़ी सांस्कृतिक टीम है। गढ़ गौरव श्री नरेन्द्र सिंह नेगी एवं पद्मश्री जागर सम्राट श्री प्रीतम भरतवाण इस सस्था के प्रमुख संरक्षक है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड की संस्कृति का स्वरूप जिनको आपने अब तक नहीं देखा, इस कार्यक्रम में देखने को मिलेगा। डॉ. जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड लोक विरासत एक गैर लाभकारी पंजीकृत संस्था है, जो उत्तराखण्ड की संस्कृति के बचाव, प्रचार-प्रसार का कार्य करती है। यह संस्था पहाड़ के सांस्कृतिक कलाकारों, हस्तशिल्पियों नवोदित कलाकारों को राजधानी का मंच प्रदान करती है। उत्तराखण्ड के पारम्परिक परिधान एवं आभूषणों का प्रदर्शन, उनका सारा खर्च वहन करती है एवं आर्थिक सहायता प्रदान करती है गरीब व सामाजिक रूप से अक्षम कलाकारो को हर प्रकार की सहायता प्रदान करती है। आपका छोटा सा छोटा योगदान हमें हमारा उद्देश्य पूरा करने हेतु प्रेरित करता है। तो आइये हमारी इस मुहिम में आप भी सहयोग देने की कृपा करें, जिससे उत्तराखण्ड की विलुप्त होती संस्कृति को संरक्षित किया जा सके। धन्यवाद।
(खाते का नाम उत्तराखण्ड लोक विरासत खाता संख्या 7576938983 IFSC IDIB000D559 बैंक का नाम इंडियन बैंक शाखा नेहरू कालोनी देहरादून ट्रस्ट का पैन कार्ड AABTU2270J)
(Pan कार्ड की कॉपी जरूर भेजें)
कार्यक्रम के उद्देश्य:
1. गांव स्तर की प्रतिभा की खोज एवं आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को राजधानी का मंच देना।
2. पहाड़ के लोकगीत, वाद्य यंत्र, लोकनृत्यों का प्रदर्शन, भूले बिसरे गीत संगीत, नृत्यों का प्रदर्शन।
3. नई पीढ़ी को उत्तराखण्ड की संस्कृति से अवगत कराना। नये कलाकारों का सृजन करना आदि।
4. आप में गांव स्तर पर क्या हुनर है उनका चयन कर राज्य स्तर प्लेटफार्म देना।
5. पहाड़ से पलायन रोकना। रोजगार सृजित करना।
6. कलाविदों को प्रत्येक गांव में एक निश्थित धनराशि सरकार से तय कराना।
7. अनाथ कलाविदों, सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को गोद लेना।